उत्तराखंड में तमाम भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक और धांधली होने के बाद अभ्यर्थी हताश हैं। युवाओं को उम्मीद थी कि उत्तराखंड लोक सेवा आयोग पारदर्शिता के साथ परीक्षाएं आयोजित कराएगा, लेकिन यहां भी पेपर लीक हो गया। जिससे निराश युवाओं को लोक सेवा आयोग के बाहर धरना और विरोध प्रदर्शन करना पड़ रहा है। इसी कड़ी में जून 2022 में कराई गई एई और जेई की परीक्षा का भी पेपर लीक हो गया। जिसके चलते साल 2021 में कराई गई एई और जेई का इंटरव्यू बीच में रोक दिया गया है। जिसे लेकर उत्तीर्ण अभ्यर्थियों में भारी रोष है। आज अभ्यर्थियों ने यूकेपीएसी कार्यालय के बाहर पहुंचकर विरोध दर्ज कराया.उत्तराखंड लोक सेवा आयोग की ओर से आयोजित कई परीक्षाओं में पेपर लीक के खुलासे के बाद प्रदेश सरकार से लेकर उन सभी अभ्यर्थियों में हड़कंप मचा हुआ है जिन्होंने इन परीक्षाओं में भाग लिया था या फिर परीक्षाओं के बाद इन लोगों का रिजल्ट घोषित हो चुका था। साल 2021 में एई जेई प्रवेश परीक्षा का आयोजन किया गया था। जिसका रिजल्ट 2022 में आया। इस परीक्षा के इंटरव्यू भी हाल ही में शुरू हुए थे। लेकिन इसी दौरान पटवारी भर्ती पेपर लीक प्रकरण के चलते पूर्व में आयोजित हुई सभी परीक्षाओं पर सवालिया निशान लग गया। जिसके चलते पूर्व में हुई परीक्षा के इंटरव्यू भी रुक गए हैं।
इंटरव्यू स्थगित होने पर उत्तीर्ण अभ्यर्थियों के भविष्य पर एक बार फिर खतरे की तलवार लटक गई है। इस बात से नाराज सैकड़ों अभ्यर्थियों ने सोमवार को कनखल स्थित उत्तराखंड लोक सेवा आयोग के दफ्तर पहुंचे और विरोध प्रदर्शन किया। आयोग के गेट पर लगातार अभ्यर्थियों की संख्या बढ़ती गई। विरोध की सूचना पर पहले ही पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों ने आयोग के बाहर मोर्चा संभाले रखा। पुलिस और प्रशासन अभ्यर्थियों को लगातार समझाने की भी कोशिश करता रहा। विरोध प्रदर्शन में शामिल होने के लिए सभी जिलों से अभ्यर्थी पहुंचे थे। अभ्यर्थी संजय नेगी ने बताया कि एई-जेई प्रवेश परीक्षा का नवंबर 2021 में विज्ञापन आया था मई 2022 में इसका पेपर हो गया और अगस्त में इसका रिजल्ट भी जारी हो चुका था जिसके बाद उत्तीर्ण अभ्यर्थियों का इंटरव्यू का क्रम अब शुरू हुआ था। पटवारी भर्ती प्रकरण के चलते अब इस परीक्षा के अभ्यर्थियों की भी जांच चल रही है। अभ्यर्थियों ने मांग की है कि जो भी नकलची छात्र इसमें पाए जाते हैं, उनके नाम सार्वजनिक किए जाएं। अन्य भर्ती प्रकरणों में सामने आया है कि जो आरोपी पकड़े जाते हैं उनका नाम सार्वजनिक नहीं किया जाता. इस परीक्षा में 3200 छात्र चयनित हुए थे। उनका कहना है कि गड़बड़ी करने वाले सभी आरोपियों का नाम सार्वजनिक किया जाना चाहिए। आरोपियों को अगले 10 साल के लिए परीक्षा देने से रोक देना चाहिए। पेपर लीक मामले में साफ हो चुका है कि कुछ आयोग के लोग बाहर के लोगों के साथ मिलकर कुछ अभ्यर्थियों को भी साथ मिलाकर इस गड़बड़ झाले को अंजाम देने में लगे हुए हैं।