साइबर अपराधियों के लिए बागेश्वर सॉफ्ट टारगेट साबित हो रहा है। यहां साइबर ठगी की वारदातें तेजी से बढ़ रही हैं और रिकवरी के आंकड़े बागेश्वर पुलिस की पुलिसिंग पर सवाल खड़े कर रही है।
जबकि रिकवरी के मामले में पिथौरागढ़ पुलिस का रिकार्ड अन्य जिलों की पुलिस से बेहतर है। यह खुलासा मंगलवार को आईजी डॉ.निलेश आनंद भरणे की वर्चुअल गोष्ठी में हुआ, जिसमें सभी जिलों के सीओ ऑपरेशन शामिल रहे। जारी आंकड़ों के मुताबिक साइबर ठगी की सबसे ज्यादा घटनाएं ऊधमसिंहनगर जिले में हुईं। यहां अब तक 17053637 रुपये की ठगी हुई और पुलिस ने 5059771 रुपये की धनराशि पीड़ितों को वापस कराई। इसी तरह अल्मोड़ा में 2935554 रुपये में से 607400 रुपये, बागेश्वर 2931841 रुपये में से 179612 रुपये, पिथौगगढ में 1518696 रुपये में से 1108000 रुपये, चम्पावत में 3697114 रुपये में 2035361 रुपये और नैनीताल जिले में हुई 4894271 रुपये की ठगी में से 376977 रुपये पीड़ितों को वापस कराए गए। एसआर केसों की समीक्षा के दौरान सामने आया कि कुमाऊं में ऊधमसिंहननगर में 1, नैनीताल में 1 और पिथौरागढ़ जिले में 2 केस लम्बित है। जबकि नैनीताल में 36, ऊधमसिंहनगर में 88, अल्मोड़ा में 8, बागेश्वर में 2, पिथौरागढ़ में 18 और चम्पावत में 10 अभियोग लंबित हैं। जिलेवार समीक्षा के दौरान यह सामने आया कि अल्मोड़ा जिले में 2 अभियोग पंजीकृत किए गए, लेकिन खुलासा एक का भी नहीं हो सका। जबकि पिथौरागढ़ पुलिस ने 12 अभियोग पंजीकृत किए और 2 मामलों का खुलासा किया। चम्पावत पुलिस ने 3 में से 1 केस वर्कआउट किया। जबकि नैनीताल पुलिस ने 10 केस में से एक भी नहीं खोले। वहीं ऊधमसिंहनगर ने 46 मामलों में से सिर्फ 3 का अनावरण किया।
जिलेवार मोबाइल फोन की बरामदगी
अल्मोड़ा में 125 में से 35
बागेश्वर 103 में से 23
पिथौरागढ़ में 280 में से 50
चम्पावत में 207 में 68
नैनीताल में 1501 में 310
ऊधम सिंह नगर में 2022 में से 424
आईजी ने दिए ये निर्देश
1- साइबर मामलों का निस्तारण शत प्रतिशत किया जाए।
2- थानों में आने वाली शिकायतों का तुरंत संज्ञान लिया जाए।
3- साइबर सेल में प्रशिक्षित कर्मी नियुक्त किए जाए।
4- साइबर अपराधियों की गिरफ्तारी के लिए टीमें बाहरी राज्यों में भेजी जाए।