बागेश्वर। उत्तराखण्ड गठन को भले ही 21 साल पूरे हो गये हों, लेकिन आज भी यहां पहाड़ों में ग्रामीणों को मूलभूत सुविधाओं के लिए खासी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। पहले तो मूलभूत सुविधाएं मुहैय्या नहीं होती और अगर कहीं पर सुविधाएं मिलती भी हैं तो उनमें आने वाली समस्याओं का समाधान होने में कई दिन लग जाते हैं। कुछ ऐसा ही आजकल बागेश्वर जिले के काकड़ा गांव में हो रहा है। यहां तीन दिन से ट्रांसफार्मर खराब होने के चलते बिजली गुल है, लेकिन अभी तक इस समस्या का समाधान नहीं हो पाया है। हांलाकि अधिकारियों ने आज इस समस्या के समाधान की बात कही है, लेकिन यहां सवाल यही उठता है कि आधुनिक युग में जहां हर चीज संभव है वहीं ग्रामीण इलाकों की बदहाली का जिम्मेदार कौन है। बताया जाता है कि ट्रांसफार्मर में खराबी आने से भटोली, मिहिनिया तक के गांवों में तीन दिन से बिजली आपूर्ति ठप है।
जानकारी के अनुसार काकड़ा, भटोली और मिहिनिया गांव में करीब 85 परिवार रहते हैं। बिजली गुल होने से लोगों की परेशानी बढ़ गई है। यूपीएस, इनवर्टर समेत कई लोगों के मोबाइल फोन की बैटरी डिस्चार्ज हो गई है। लोगों को मोबाइल की बैटरी चार्ज करवाने के लिए आसपास के गांवों या करीब सात किमी दूर जिला मुख्यालय आना पड़ रहा है। ग्रामीणों का आरोप है कि सूचना देने के बावजूद ऊर्जा निगम समस्या नहीं सुलझा रहा है। जिला मुख्यालय का नजदीकी गांव होने के बावजूद तीन दिन से बिजली आपूर्ति बहाल न होना चिंताजनक है। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अगर समस्या का समाधान शीघ्र नहीं हुआ तो उग्र आंदोलन किया जायेेगा।
Tushar Kandpal
संपादक