बागेश्वर उपचुनाव की सियासी गर्मी बढ़ती जा रही है। बयान बहादुरों ने राजनीतिक पारा चढ़ा दिया है। यह चुनाव भाजपा और कांग्रेस के लिए नाक का सवाल बन गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि भाजपा जहां लगातार पांचवीं जीत हासिल करना चाहती है, वहीं कांग्रेस 16 साल का सूखा खत्म करने के प्रयास में है। दोनों दलों के दिग्गजों ने यहां डेरा डाल रखा है।
सियासी जानकार इस चुनाव निकाय और लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल मानकर चल रहे हैं। क्योंकि इस चुनाव के बाद प्रदेश में एक बड़ा सियासी संदेश जाएगा। इसका असर अगले साल तक देखा जा सकता है। यही कारण है कि सत्तारूढ़ भाजपा और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने यहां पूरी ताकत झोंक दी है। भाजपा ने तो पूरी सरकार ही चुनाव में उतार रखी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खुद इस चुनाव पर नजर रख रहे हैं। वह नामांकन के दिन बागेश्वर थे। दो और तीन सितंबर को उनका दो दिवसीय दौरा होने वाला है। मंत्री-विधायकों की फौज बागेश्वर के गांव-गांव खाक छान रही है। केंद्र और राज्य सरकार की उपलब्धियां गिनाई जा रही है। कांग्रेस इस सीट पर मजबूती से लड़ने का दावा कर किसी मायने में कम नहीं है। प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा, नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य, प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव के साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत चुनावी समर में प्रचार अभियान की कमान थामे हैं।
बता दें कि राज्य बनने के बाद कांग्रेस सिर्फ एक बार वर्ष 2002 में बागेश्वर सीट जीत पाई है। वर्ष 2007 से 2022 तक लगातार चार बार भाजपा के चंदन राम दास इस सीट से विजयी रहे। इस बार उनकी पत्नी पार्वती दास भाजपा का चेहरा हैं। कांग्रेस ने पहले बसपा और आप से चुनाव लड़ चुके बसंत कुमार पर इस बार दांव खेला है। राज्य बनने के बाद एक भी उप चुनाव सत्ताधारी दल नहीं हारा है। चाहे वह पिथौरागढ़ का उप चुनाव हो या थराली का या चंपावत का। सभी उप चुनाव सत्ताधारी दल की झोली में गए हैं। यही कारण है कि सीएम पुष्कर सिंह धामी इस चुनाव को भी हर हाल में जीतना चाहते हैं। इस सीट पर वर्ष 2007 से लगातार हार का सामना कर रही कांग्रेस इस बार बाहरी प्रत्याशी लाकर खोई जमीन तलाश कर रही है। कांग्रेस प्रत्याशी बसंत कुमार वर्ष 2017 का चुनाव बसपा से लड़े। वर्ष 2022 के चुनाव में एक बार फिर उन्होंने पाला बदला। आम आदमी पार्टी से चुनाव लड़े। इस बार कांग्रेस का दामन थामकर चुनाव मैदान में हैं। चुनाव की तिथि नजदीक आते ही भाजपा और कांग्रेस ने पूरी ताकत झोंक दी है। दोनों दलों के आला नेता गांव-गांव, गली-गली पहुंच रहे हैं। हर तरीके से मतदाताओं को रिझाने की कोशिश की जा रही है। कैबिनेट मंत्री सौरभ बहुगुणा की पहले से मौजूदगी के बीच कैबिनेट मंत्री रेखा आर्य अभी बागेश्वर पहुंच गईं हैं। रेखा आर्या दो सितंबर तक बागेश्वर में रहेंगी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के 2 सितंबर को बागेश्वर पहुंचने की संभावना है। सीएम तीन सितंबर तक बागेश्वर में रहेंगे। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा, नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य, पूर्व सीएम हरीश रावत और कई कांग्रेसी विधायकों ने बागेश्वर में डेरा डाल रखा है। हरीश रावत एक सितंबर तक तो बाकी आला नेता तीन सितंबर तक बागेश्वर में बने रहेंगे।