उत्तराखंड के नेता और मंत्री कितने ही दावे कर लें लेकिन दूरस्थ पहाड़ों तक सुविधाएं नहीं पहुंची हैं। बेहतर सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा, रोज़गार एवं आजीविका की अपेक्षाओं के साथ उत्तरप्रदेश से पृथक हुए राज्य उत्तराखंड आज भी इन मूलभूत आवश्यकताओं के लिए तरस रहा है। राज्य स्थापना के 22 वर्ष बाद भी इस पर्वतीय प्रदेश का रहवासी जीवन के लिए जरूरी मूलभूत ज़रूरतों के लिए संघर्षरत है।
एक ओर पूरा देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है वहीं अगस्त्यमुनि ब्लॉक के दूरस्थ ग्राम औरिंग आज भी मोटर मार्ग होने के बाद भी परेशानियों से जूझ रहा है। आलम यह है कि सड़क कटिंग के बाद स्थिति ऐसी बनी है कि इस पर वाहन चलाना तो दूर, पैदल चलना तक मुश्किल है। जिस कारण बीमार मरीजों को स्वास्थ्य केन्द्र पहुंचाने के लिए पालकी और डंडी का सहारा लेना पड़ता है। ऐसा ही एक मामला प्रकाश में आया है जब औरिंग गांव के लकवे से पीड़ित पुष्कर सिंह को आवश्यकता पड़ने पर डंडी कंडी पर सुरसाल तक 3 किमी लाना पड़ा। यहां से उन्हें वाहन के जरिये श्रीनगर ले जाया गया। दरअसल पुष्कर सिंह लकवे से पाीड़ित हैं। उन्हें 10 से 15 दिनों में पेशाब की थैली बदलने श्रीनगर जाना पड़ता है। सोमवार को अचानक उन्हें श्रीनगर जाने की आवश्यकता पड़ी। मगर सड़क मार्ग बन्द होने के कारण उन्हें डंडी पर 3 किमी पैदल लाना पड़ा। वैसे तो कई ग्राम पलायन के कारण खाली पड़े हैं मगर आजकल गर्मियों की छुट्टियां होने से गावों में प्रवासी घरों की ओर आये है। वह तो गनीमत रही कि यहां भी कई युवा आजकल घर आये हुए हैं। ऐसे में उन्होंने शीघ्र ही पुष्कर सिंह को सुरसाल तक पहुंचाकर गाड़ी से श्रीनगर भेजा। कहने को सुरसाल ग्राम से औरिंग के लिए सड़क कट चुकी है लेकिन इस पर अभी न तो डामर बिछ पाया है और ना ही नाली निर्माण हुआ है। हल्की बरसात होने पर भी कीचड़ के कारण इस सड़क पर चलना दूभर हो जाता है। इधर दिन भर की भारी बरसात से जगह-जगह जलभराव, कीचड़ एवं दलदल के कारण इस सड़क पर आवाजाही ठप्प हो गई है।