उत्तराखंड में एक बार फिर से उपचुनाव का रण होने जा रहा है। बागेश्वर में होने वाले इस उपचुनाव के रण में राजनैतिक दलों ने अपने अपने सूरमाओं को मैदान में उतार दिया है। इसी के साथ सभी दल बागेश्वर उपचुनाव के रण को जीतने के लिए सियासी गुणा भाग में भी जुटे हुए हैं। बीजेपी जहां बागेश्वर उपचुनाव से पहले अपने खेमे को मजबूत करने में जुटी है, वहीं कांग्रेस बेरोजगारी, महंगाई, अंकिता हत्याकांड जैसे तमाम मुद्दों के साथ ही स्थानीय परेशानियों को हथियार बनाकर बीजेपी को घेरने की तैयारी में जुटी है। दूसरे दल भी बीजेपी-कांग्रेस की नाकामियों को गिनाते हुए मतदाताओं को लुभाने की कोशिशों में जुटे हैं।
उत्तराखंड का बागेश्वर जिला बेहद महत्वपूर्ण है। यह शहर न केवल महत्वपूर्ण आंदोलनों की भूमि रहा है बल्कि धार्मिक लिहाज से भी बागेश्वर का अपना अलग वजूद है। बागेश्वर बाबा बागनाथ की नगरी है। सरयू और गोमती का संगम भी इसी जिले में होता है। बाबा बागनाथ की यह नगरी स्वतंत्रता संग्राम के लिए भी जानी जाती है। बागेश्वर विधानसभा सीट के पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने बंपर जीत हासिल की थी। बीजेपी के चंदन रामदास बागेश्वर से जीतकर विधानसभा पहुंचे। जिसके बाद उन्हें धामी सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया। लगातार खराब होते स्वास्थ्य के कारण चंदन रामदास परेशानियों में घिरते चले गये। जिसके बाद हार्ट अटैक के कारण उनका निधन हो गया. जिसके कारण बागेश्वर विधानसभा सीट खाली हो गई. अब इस सीट पर उपचुनाव हो रहा है। बीजेपी ने बागेश्वर उपचुनाव में चंदन रामदास की पत्नी पार्वती दास को टिकट दिया है। चंदन रामदास ने 1997 में बागेश्वर से निर्दलीय नगर पालिका का चुनाव लड़ा. उसके बाद उन्हें विजय हासिल हुई। जीत के बाद उन्होंने कांग्रेस में जाना उचित समझा, लेकिन साल 2006 में वह भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए. साल 2007 में भाजपा के टिकट पर वह पहली बार विधानसभा में पहुंचे। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। वे हर बार यहां से जीतकर विधानसभा पहुंचे। चंदन रामदास की कार्यशैली और जनता से जुड़ाव के कारण वे काफी लोकप्रिय थे। कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी से कांग्रेस में आए बसंत कुमार को उम्मीदवार बनाया है। बताया जाता है बागेश्वर विधानसभा सीट पर भले ही बीजेपी एक के बाद एक चुनावी जीत हासिल कर रही हो मगर कांग्रेस का भी यहां मजबूत जनाधार है। जनाधार के बाद भी कांग्रेस बागेश्वर से चुनाव हार जाती है। इसके पीछे भी एक वजह है. दरअसल, बागेश्वर में चुनाव से पहले और चुनाव के दौरान कांग्रेस अलग-अलग नजर आती है। राज्य गठन के बाद साल 2002 में जब बागेश्वर सीट पर चुनाव हुए तब इस सीट पर कांग्रेस के रामप्रसाद टम्टा ने चुनाव जीता। उसके बाद साल 2007, 2012, 2017, 2022 में बीजेपी ने बंपर जीत हासिल की। बागेश्वर उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी बसंत कुमार का क्षेत्र में अच्छा खासा जनाधार है। कांग्रेस को यही लगता है कि बसंत कुमार पार्वती दास को अच्छी खासी टक्कर दे सकते हैं। कांग्रेस इस पूरे चुनाव के दौरान राज्य में महिलाओं से जुड़े अपराध जैसे अंकित भंडारी हत्याकांड, महंगाई, बेरोजगारी जैसे मुद्दों को उठा रही है. बसंत कुमार बीजेपी उम्मीदवार की तरह ही बेदाग हैं। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा कहते हैं कि वो खुद देख कर आए हैं कि बागेश्वर में कैसे बीजेपी के खिलाफ माहौल है। माहरा की मानें महंगाई भले ही लोकसभा चुनाव से जुड़ा मुद्दा हो, लेकिन लोग इस चुनाव में भी इसकी बात कर रहे हैं। बसंत कुमार का कहना है वे युवाओं के लिए ये चुनाव लड़ रहे हैं। युवाओं को रोजगार, उनके हक दिला सकें इसके लिए वे चुनावी मैदान में हैं।
बागेश्वर उपचुनाव की वोटिंग से पहले बीजेपी कांग्रेसी नेताओं को तोड़ने में लगी है। जिसमें वो कामयाब भी रहे. बीजेपी ने साल 2022 में कांग्रेस के टिकट से बागेश्वर सीट पर चुनाव लड़े रंजीत दास को अपने खेमे में शामिल किया। चंदन रामदास से हारने वाले रंजीत दास पिछली बार 12,000 वोटों से हारे थे. इतना ही नहीं बीजेपी ने कांग्रेस को एक झटका देते हुए पूर्व कैबिनेट मंत्री और खटीमा से विधायक रहे सुरेश आर्य को भी भारतीय जनता पार्टी में शामिल करवाया। 1984 से लेकर 1989 तक सुरेश आर्य विधायक रहे। उसके बाद 1996 से लेकर 2002 तक वह दूसरी बार विधायक रहे। उत्तराखंड की पहली गठित सरकार में उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया। सुरेश आर्य जैसे बड़े नेताओं को पार्टी में शामिल करने के बाद भाजपा ने कांग्रेस को बड़ी टेंशन भी दे दी है. इसके साथ ही बीजेपी ग्राउंड पर भी कोई कमी नहीं छोड़ रही हैं. बागेश्वर उपचुनाव को लोकसभा चुनाव का ट्रायल माना जा रहा है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कहा आने वाले समय में और कांग्रेस नेता भारतीय जनता पार्टी में आने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा बीजेपी बागेश्वर उपचुनाव के साथ-साथ लोकसभा चुनाव की भी पांचों सीटें जीतेगी। बागेश्वर उपचुनाव को लेकर वरिष्ठ पत्रकार जयसिंह रावत कहते हैं कि इस चुनाव को मौजूदा सरकार किसी भी कीमत पर जीतना चाहेगी। इसके लिए सरकार साम, दाम, दंड, भेद का प्रयोग करने से पीछे नहीं हटेगी. वरिष्ठ पत्रकार जयसिंह रावत ने कहा बीजेपी जानती है अगर कांग्रेस बागेश्वर उपचुनाव जीतती है तो इससे करण माहरा का कद बढ़ जाएगा। इसके साथ ही लोकसभा चुनाव में भी इससे कांग्रेस को मदद मिलेगी। साथ ही ये चुनावी जीत कांग्रेस के मॉरल को उठाने का करेगी, जो बीजेपी बिल्कुल भी नहीं चाहेगी। साथ ही वे बागेश्वर उपचुनाव में कांग्रेस की चतुराई पर भी चर्चा करते हैं। वे बताते हैं कांग्रेस ने बागेश्वर उपचुनाव में संजीव आर्य सहित दूसरे बड़े नेताओं को चुनावी मैदान में नहीं उतारा। कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी से आए बसंत कुमार को कांग्रेस की सदस्यता दिलाई। जिसके बाद उन्हें चुनावी मैदान में उतारा।